समास के बारे में आज हम जानने वाले हैं कि क्या होता है इसके कितने भेद होते हैं तथा इन भेदों के उदाहरण भी जानने वाले है।
समास की परिभाषा
समास का अर्थ होता है संक्षेप दो या दो से अधिक शब्द आपस में मिलकर समास का निर्माण करते हैं।
इसे भी जानें – संज्ञा क्या है
समास 6 प्रकार के होते हैं:
- तत्पुरुष समास
- अव्ययीभाव समास
- दिगु समास
- द्वंद समास
- कर्मधारय समास
6 बहुव्रीहि समास
(1) तत्पुरुष समास-जिस समास का उत्तर प्रधान होता है वहां तत्पुरुष समास होता है।
तत्पुरुष समास 6 प्रकार के होते हैं:
( A) कर्म तत्पुरुष समास -इसमें कर्म कारक विभक्ति का लोप होता है ।
उदाहरण-
गिरिधर =गिरि को धारण करने वाला
मनोहर =मन को हरने वाला
वंशीधर =वंशी को धारण करने वाला
भूधर =भू को धारण करने वाला
(B) करण तत्पुरुष समास -इसमें करण कारक विभक्ति का लोप होता है ।
उदाहरण –
मन से चाहा =मनचाहा
बाढ़ से पीड़ित=बाढ़ पीड़ित
अकाल से पीड़ित=अकाल पीड़ित
हास्त से लिखित=हस्तलिखित
(C) संप्रदान तत्पुरुष समास -इसमें संप्रदान कारक विभक्ति का लोप होता है ।
उदाहरण –
देवालय =देव के लिए आलय
देश भक्ति =देश के लिए भक्ति
शिवालय = शिव के लिए आलय
गुरुभक्ति =गुरु के लिए भक्ति
(D) अपादान तत्पुरुष समास -इसमें अपादान कारक विभक्ति का लोप होता है अपादान कहलाता है ।
उदाहरण –
प्रदूषण से रहित =प्रदूषण रहित
जीवन से मुक्त =जीवन मुक्त
धन से हीन =धनहीन
विद्या से हीन=विद्याहीन
इच्छा से मुक्त =इच्छा मुक्त
(E )संबंध तत्पुरुष समास -इसमें संबंध कारक विभक्त का लोप होता है ।
उदाहरण –
राजकन्या =राजा की कन्या
कन्यादान =कन्या का दान
भूदान =भू का दान
राजपुत्र =राजा का पुत्र
पति की प्रिया=पति प्रिया
अन्न दान =अन्न का दान
श्रमदान =श्रम का दान
(F )अधिकरण तत्पुरुष समास -इसमें अधिकरण कारक विभक्ति का लोप होता है ।
उदाहरण –
स्मृति से लीन =स्मृति लीन
विरह से आकुल =बिरहाकुल
साइकिल पर सवार =साइकिल सवार
नगर मे वास =नगरवास
दान मे वीर। =दानवीर
कुल मे उत्तम =कुलोत्तम
वन मे वास =वनवास
(2) अव्ययीभाव समास -जिस समास का पहला पद प्रधान होता है वहां अव्ययीभाव समास होता है
उदाहरण –
प्रति + दिन =प्रतिदिन
यथा+संभव = यथासंभव
अनू+रूप =अनुरूप
भर +पेट =भरपेट
प्रति + कूल =प्रतिकूल
यथा +शक्ति =यथाशक्ति
प्रति +मास =हर मास
(3) दिगु समास -जिस समास का पहला पद संख्या वाचक विशेषण होता है वहां दिगु समास होता है
उदाहरण –
छमाही =छह माहो का समाहार
नवग्रह =नौ ग्रहों का समाहार
पंचमुख=पांच मुखों का समाहार
त्रिकाल = तीन कालों का समाहार
तिरंगा = तीन रंगों का समूह
चौराहा =चार राहों का समूह
पंचमढ़ी =पांच मणियों का समूह
(4) द्वंद समास -जिस समास के दोनों पद प्रधान होते है वहां द्वंद समास होता है
उदाहरण –
रात दिन = रात और दिन
माता पिता = माता और पिता
भाई बहन =भाई और बहन
राजा रानी =राजा और रानी
पाप पुण्य =पाप और पुण्य
अच्छा बुरा= अच्छा और बुरा
झूठ सच =झूठ और सच
लोटा डोरी = लोटा और डोरी
(5) कर्मधारय समास – जिस समस्त पद का उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद व उत्तर प्रद में उपमान- उपमेय अथवा विशेषण -विशेष्य संबंध हो वहां कर्मधारय समास होता है
उदाहरण –
चरण कमल =कमल के समान चरण
चंद्रमुख=चंद्र के समान मुख
मृग नयन =मृग के समान नयन
क्रोधाग्नि =क्रोध रूपी अग्नि
नीलकंठ =नीला है जो कंठ
महापुरुष= महान है जो पुरुष
महादेव =महान है जो देव
अधमरा =आधा है जो मरा
परमानंद =परम है जो आनंद
इसे भी जानें – रस क्या है? रस के कितने अंग होते हैं?
(6) बहुव्रीहि समास – जिस समाज के दोनों पद प्रधान ना होकर किसी तीसरे पद की प्रधानता होती है वहां बहुव्रीहि समास होता है
उदाहरण –
दशानन =दस है जिसके आनन
अर्थात (रावण )
चतुर्भुज= चार हैं जिसकी भुजाएं
अर्थात (विष्णु जी )
गिरिधर =गिरी को धारण करने वाला
अर्थात (श्री कृष्ण)
त्रिलोचन= तीन है जिसके लोचन
अर्थात (शिव जी )
घनश्याम =घन के समान श्याम है जो
अर्थात (श्री कृष्ण )
मृत्युंजय =मृत्यु को जीतने वाला
अर्थात( शंकर जी )