जमीन की रजिस्ट्री क्या होती है यह क्यों जरुरी होती है? क्या है इसका महत्व

रजिस्ट्री करना बहुत ही जरुरी होता है हम बिना रजिस्ट्री कराये किसी जमीन का मालिक का हक़ प्राप्त नहीं कर सकते हैं रजिस्ट्री को कराकर हम उस जमीन में के मालिक बन जाते हैं जिससे कि हम बाद में उसे बेच भी सकते हैं। आइये जानते हैं कि रजिस्ट्री क्या है?

जमीन की रजिस्ट्री क्या है?

जमीन की रजिस्ट्री से आशय जमीन के क्रय-विक्रय दस्तावेज के पंजीयन से है। जमीन के क्रय विक्रय दस्तावेज में रुपए के लेनदेन, मालिकाना हक संबंधी अधिकारों, संपत्ति पर कब्जा अधिकार आदि का लेख किया जाता है। इस लिखित दस्तावेज को संबंधित कार्यालय से पंजीकृत करवाना ही रजिस्ट्री कहलाता है।

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क्यों जरुरी है रजिस्ट्री और क्या है रजिस्ट्री

 इसमें क्रेता विक्रेता सहित गवाहों की जानकारी भी सम्मिलित कर उपयुक्त रजिस्ट्री शुल्क भी चुकाया जाता है तथा पंजीकृत दस्तावेज की सत्यापित प्रति क्रेता को प्राप्त होती है।

जमीन की रजिस्ट्री क्यों जरुरी है?

जमीन का क्रय विक्रय दो पक्षों के मध्य का विषय होता है जिसमें क्रेता जमीन का उचित मूल्य देकर विक्रेता से भूमि प्राप्त करता है दोनों पक्षों के मध्य हुए इस लेनदेन को तब तक कानूनन वैधता नहीं प्रदान की जाती जब तक कि इसका पंजीकरण या रजिस्ट्री ना हो जाए रजिस्ट्री ना होने की स्थिति में शासकीय दस्तावेजों में जमीन का क्रय करने के बावजूद क्रेता का नाम दर्ज नहीं हो पाता है जिससे उसे भूमि मालिक के कानूनन अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं अतः क्रेता के लिए जमीन की रजिस्ट्री कराना आवश्यक होता है।

जमीन की रजिस्ट्री के दौरान स्टांप शुल्क किसे चुकाया जाता है?

जब हम जमीन की रजिस्ट्री करते हैं तब हमें एक निश्चित स्टांप शुल्क जिसकी गणना भूमि की कीमत के आधार पर होती है इसलिए स्टाम शुल्क को राज्य सरकार को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुकाना पड़ता है। भूमि का लेनदेन राज्य का विषय है अतः इसका संग्रह भी राज्य सरकार के अंतर्गत किया जाता है।

जमीन की रजिस्ट्री के दौरान स्टांप शुल्क क्यों चुकाया जाता है?

जमीन की रजिस्ट्री के दौरान जमा किया जाने वाला स्टांप शुल्क राज्य की आमदनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है यह एक प्रकार का कर होता है जो जमीन के लेनदेन पर जमीन की कीमत के आधार पर लगाया जाता है जिसका प्रतिशत अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग होता है।

यह मुख्य रूप से जमीन की कीमत पर निर्भर करता है जैसे व्यवसायिक जमीन पर लगने वाला स्टांप शुल्क कृषि भूमि पर लगने वाले स्टांप शुल्क से अधिक होता है। बिना स्टांप शुल्क चुकाए रजिस्ट्री को वैध नहीं माना जाता है।

जमीन की रजिस्ट्री करने के क्या फायदे हैं?

  • जमीन के क्रय विक्रय के लेनदेन को कानूनी मान्यता प्राप्त हो जाती है।
  • भूमि मालिक संबंधित सभी कानून अधिकार क्रेता को प्राप्त हो जाते हैं।
  • भूमि अभिलेख में खरीदार का नाम दर्ज करना संभव हो जाता है।
  • किसी भी प्रकार की लेनदेन में धोखाधड़ी की स्थिति में न्यायालय की शरण ली जा सकती है।

जमीन की रजिस्ट्री कितने प्रकार की होती है?

जमीन की रजिस्ट्री का प्रकार मुख्यता दो बातों पर निर्भर करता है पहला जमीन का प्रकार जैसे कृषि भूमि डायवर्टेड भूमि व्यवसायिक भूमि आवासीय भूमि आदि, दूसरा जमीन के लेनदेन के आधार पर जैसे नकद लेन देन दान पत्र वसीयत आदि।

कृषि भूमि तथा डायवर्टेड भूमि में स्टांप ड्यूटी की गणना अलग-अलग की जाती है जैसे डायवर्टेड वही में लगने वाला स्टांप ड्यूटी कृषि भूमि से अधिक होती है क्योंकि डायवर्टेड भूमि में जमीन को अनेक भागों में बांट कर बेचा जाता है।

इसी प्रकार जमीन के  लेन देन  प्रकार में विक्रय पत्र दान पत्र, तथा वसीयत आदि में स्टांप ड्यूटी की गणना अलग-अलग होती है इसमें विक्रय के आधार पर हस्तांतरण में स्टांप ड्यूटी दान पत्र तथा वसीयत की तुलना में अधिक होती है।

जमीन की रजिस्ट्री किसके द्वारा की जाती है?

जमीन की रजिस्ट्री के लिए राज्य सरकार द्वारा विकास खंडवा जिला स्तर पर कार्यालय की स्थापना की गई है इन कार्यालयों को पंजीयक कार्यालय या रजिस्ट्री कार्यालय कहा जाता है। पत्ते कार्यालय द्वारा की जाने वाली रजिस्ट्री की सीमा जमीन की कीमत के आधार पर तय की जाती है कार्यालय में पदस्थ पंजीयक/रजिस्ट्री अधिकारी द्वारा जमीन की रजिस्ट्री उचित स्टांप शुल्क के भुगतान के पश्चात क्रेता विक्रेता तथा गवाहों के समक्ष ही जाती है।

वर्तमान में जमीन की रजिस्ट्री का स्वरूप कैसा है?

वर्तमान में जमीन की रजिस्ट्री राज्य स्तरीय वेब पोर्टल के द्वारा की जाती है जिसे ई रजिस्ट्री या इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री कहा जाता है इस पोर्टल के माध्यम से हम घर बैठे जमीन की सभी जानकारी जैसे खसरा नक्शा, स्टांप ड्यूटी की गणना, क्रेता विक्रेता तथा गवाहों की जानकारी जमा कर सकते हैं इससे  रजिस्ट्री कार्यालय में समय की बचत हो जाती है, नई तकनीक के माध्यम से जमीन की रजिस्ट्री और कम समय में तथा बिना धोखाधड़ी के होना संभव हो गया है मध्य प्रदेश राज्य के संबंध में ई रजिस्ट्री पोर्टल www.mpigr.gov.in है इससे आप रजिस्ट्री की जानकारी ले सकते हैं।

रजिस्ट्री से जुड़े कुछ सवाल जवाब

रजिस्ट्री किसके द्वारा की जाती है?

पंजीयक/रजिस्ट्री अधिकारी द्वारा जमीन की रजिस्ट्री की जाती है।

रजिस्ट्री क्या होती है?

जमीन के क्रय विक्रय दस्तावेज में रुपए के लेनदेन, मालिकाना हक संबंधी या संपत्ति पर कब्जा अधिकार आदि का लेख किया जाता है। इस लिखित दस्तावेज को संबंधित कार्यालय से पंजीकृत करवाना ही रजिस्ट्री कहलाता है।

रजिस्ट्री क्यों जरुरी होती है?

भूमि का मालिकान हक़ प्राप्त करने के लिए जमीन की रजिस्ट्री कराना जरुरी होता है।

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