Air India बहुत समय से कर्ज में डूबी हुई थी यह एक सरकारी कंपनी थी जो आजादी के पहले निजी थी पर आजादी के बाद इसका राष्ट्रीयकरण हो गया था पर अब यह घाटे में चली गई है जिसके कारण सरकार ने उसे बेचने का फैसला कर लिया है। एअर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा और स्पाइसजेट ने बोली लगाई है।
एअर इंडिया शुरुआत में टाटा की थी परंतु बाद में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया और इसे सरकार ने एअर इंडिया नाम दिया 68 साल के बाद इस कंपनी का निजीकरण होने जा रहा है इसलिए टाटा चाहती है कि फिर से वह एअर इंडिया को खरीद ले।
Air India | एअर इंडिया इन हिंदी
एअर इंडिया भारत की एयरलाइंस कंपनी है जिसकी शुरुआत 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस के रूप में किया था बाद में इसका राष्ट्रीयकरण होने के बाद इसका नाम एअर इंडिया रखा गया। एअर इंडिया के घाटे में आने के बाद टाटा द्वारा पुनः खरीद लिया गया।
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एअर इंडिया का इतिहास
एअर इंडिया की सर्वप्रथम शुरुआत 1932 में जेआरडी टाटा के द्वारा की गई थी और उन्होंने इसका नाम टाटा एयरलाइंस रखा था। भारत स्वतंत्र होने के बाद सरकार को एयरलाइंस राष्ट्रीयकरण करने की जरूरत पड़ी जिसके बाद टाटा एयरलाइंस का सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण कर लिया गया। सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण करने के बाद टाटा एयरलाइंस का नाम बदल कर एअर इंडिया कर लिया गया।
68 वर्ष बाद सरकार को एअर इंडिया में घाटा होने के कारण इसकी नीलामी की गई जिसे नीलामी में टाटा द्वारा एअर इंडिया को खरीदने के लिए सबसे ज्यादा 18000 करोड रुपए की बोली लगाई गई और टाटा द्वारा एअर इंडिया को खरीद लिया गया।
स्थापना | 1932 टाटा एयरलाइंस के रूप में |
संस्थापक | जेआरडी टाटा |
राष्ट्रीयकरण | 1953 एअर इंडिया |
निजीकरण | 2021 टाटा संस |
टाटा ने एअर इंडिया को क्यों खरीदा
एअर इंडिया की स्थापना सन् 1932 में जेआरडी टाटा द्वारा की गई थी बाद में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया अब पुनः एअर इंडिया को सरकार द्वारा बेचा जा रहा है जिसके कारण टाटा चाहता है कि उसके द्वारा बनाई गई एयरलाइंस को वह फिर से अपने अंडर ले ले।
जेआरडी टाटा अपनी एयरलाइंस में सबसे ज्यादा समय बिताते थे और यह उनके लिए बहुत ही प्रिय थी जिसके कारण रतन टाटा ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर इसे खरीद लिया।
एअर इंडिया को क्यों बेचना पड़ा
सरकार द्वारा एअर इंडिया के राष्ट्रीयकरण करने के बाद सन 1997 से 1998 को एअर इंडिया लगभग 180 करोड़ का घाटा हुआ था बाद में जब अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार आई तो उन्होंने इसे बेहतर किया जिससे एअर इंडिया को 135 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
समय चलते प्रफुल पटेल जी के उड्डयन मंत्री बनने के बाद उन्होंने एयरलाइंस की नीतियों में काफी बदलाव किए जिसके कारण 2006 से 2007 में एअर इंडिया को लगभग 450 करोड़ रुपए के घाटे में चली गई थी।
2006 – 2007 के बाद एअर इंडिया को लगातार घाटा का सामना करना पड़ा यह घाटा इतना बढ़ गया कि एअर इंडिया को हर दिन लगभग ₹20 करोड़ का घाटा होने लगा जिसके कारण सरकार ने इसे बेचने का फैसला किया और टाटा द्वारा ज्यादा बोली लगाने पर उन्हें एअर इंडिया की 100% मालिकाना हक दे दिया गया।
एअर इंडिया को खरीदने के लिए सरकार ने क्या किया
सरकार द्वारा सितंबर 2021 तक के लिए एअर इंडिया की बोली लगाने के लिए बोला गया था जिसमें दो कंपनियों ने बड़ी बोली लगाई थी।
- टाटा संस – 18000 करोड़ रुपए
- स्पाइसजेट – 15100 करोड रुपए
टाटा द्वारा सबसे ज्यादा बोली लगाई जाने के बाद टाटा ने इसे खरीद लिया और उसने 100% मालिकाना हक प्राप्त कर लिया।
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